तोतों की हनुमान भक्ति

यदि हम आपसे पूछे कि क्या पक्षी भी भगवान के भक्त होते हैं या कि आपने कभी पक्षियों के भोजन के लिए क्विंटलों अनाज छत पर बिखरा देखा है? कभी उस अनाज को चुगते हजारों तोते देखे हैं? नहीं ना, तो 'धर्म यात्रा' की इस कड़ी में चलिए हमारे साथ के पंचकुइया हनुमान मंदिर।

भीड़ भाड़ से भरे इंदौर शहर में एक ऐसा मंदिर है जहाँ हजारों की संख्या में तोते आते हैं। 'पंचकुईया हनुमान मंदिर' के नाम से विख्यात इस मंदिर परिसर में भगवान महादेव का मंदिर भी है। जहाँ हर रोज श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहाँ केवल नर-नारी ही नहीं बल्कि ईश्वरभक्त तोते भी आपको भक्ति में सरोबार होते नजर आएँगे।




इन तोतों की ईश्वरभक्ति भी देखने लायक है। अन्न का दाना चुगने से पूर्व ये तोते हनुमानजी की प्रतिमा की तरफ मुँह करके उन्हें प्रणाम करते हैं फिर पश्चिम दिशा की ओर मुँह करके अपना भोजन करते हैं।
  इसे अद्भुत संयोग ही कहेंगे कि जिस तरह ईश्वर के भंडारे में हजारों की संख्या में भक्तजन भोजन ग्रहण करते हैं। उसी प्रकार पंचकुइया में भी हजारों की संख्या में तोते ईश्वर को नमन करते हुए कई पंगतों में अपना भोजन ग्रहण करते हैं।      

इसे अद्भुत संयोग ही कहेंगे कि जिस तरह ईश्वर के भंडारे में हजारों की संख्या में भक्तजन भोजन ग्रहण करते हैं। उसी प्रकार पंचकुइया हनुमान मंदिर में भी हजारों की संख्या में तोते ईश्वर को नमन करते हुए कई पंगतों में अपना भोजन ग्रहण करते हैं।
कैसे जाएँ:-
वायु मार्ग:- इंदौर को मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी माना जाता है जहाँ आहिल्या बाई एयरपोर्ट स्थित है।
रेल मार्ग:- इंदौर जंक्शन होने के कारण यहाँ रेल मार्ग द्वारा पहुँचना बहुत ही आसान है।
सड़क मार्ग:- यह देश के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग (आगरा-मुंबई) से जुड़ा हुआ है। देश के किसी भी हिस्से से यहाँ सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचने के बाद ऑटो से पंचकुइया हनुमान मंदिर पहुँच सकते हैं।

इस मंदिर परिसर में रहने वाले संतों के अनुसार पिछले कई सालों से यहाँ तोतों का आना बरकरार है। इनकी संख्याँ में दिन-ब-दिन इज़ाफा होता जा रहा है। हर रोज सुबह-शाम लगभग 4 क्विटंल अनाज इन पक्षियों के भोजन के लिए यहाँ डाला जाता है। 
इन तोतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कुछ वर्षों पूर्व मंदिर प्रशासन व श्रद्धालुओं के सहयोग से यहाँ 3,000 स्क्वेयर फीट की एक विशाल छत बनाई गई है जहाँ इन तोतों के लिए अनाज बिखेरा जाता है। मंदिर से जुड़े रमेश अग्रवाल के अनुसार हर रोज इन्हें दाना डालने वाले हर रोज सुबह 5:30 से 6 बजे के बीच तथा शाम को 4 से 5 बजे के बीच इन तोतों के लिए छत पर अनाज डाला जाता है जिसे ये 1 से सवा घंटे में खा लेते हैं। इनकी संख्या के अनुसार अनाज की मात्रा बढ़ाई-घटाई जाती है। 
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