लेटे हुए हनुमान का मंदिर

राजकोट के श्रीबड़े बालाजी हनुमान

जनकसिंह झाला


धर्मयात्रा की इस बार की कड़ी में हम आपको ले चलते हैं, गुजरात के राजकोट शहर में स्थित रामभक्त हनुमान के मंदिर। राजकोट के कोठारिया रोड पर स्थित श्रीबड़े बालाजी के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर की खासियत यह है कि इसमें हनुमानजी की प्रतिमा लेटी हुई स्थिति में विद्यमान है। इस कारण यह मंदिर लेटे हुए हनुमान के नाम से भी पूरे सौराष्ट्र क्षेत्र में प्रसिद्ध है।

आज से तकरीबन चालीस साल पहले इस मंदिर की स्थापना की गई थी। मंदिर के पुजारी कमलदासजी महाराज और गुरु सर्वेश्वरदासजी महाराज कहते हैं कि चालीस साल पहले इसी जगह पर एक अनुष्ठान करते समय उनको हनुमानजी ने सर्पाकृति के रूप में दर्शन दिए, जिसे देखकर वे खड़े हो गए और उनका अनुष्ठान खंडित हो गया। 

बाद में एक दिन स्वयं हनुमानजी ने उन्हें स्वप्न में दर्शन देकर मंदिर निर्माण के लिए प्रेरित किया। चूँकि प्रथम अनुष्ठान के दौरान उन्हें सर्पाकृति में हनुमानजी के दर्शन हुए थे, इसलिए उन्होंने कुछ भक्तजनों की आर्थिक मदद से यहाँ पर लेटे हुए हनुमान की प्रतिमा विराजमान की। पवित्र औषधी और मिश्रित धातु से बनी हुई इस प्रतिमा की उँचाई 21 फिट व चौड़ाई 11 फिट है।

शुरुआत में इस मंदिर के निर्माण में काफी दिक्कते आई, लेकिन धीरे-धीरे यह मंदिर पूरे गुजरात में प्रसिद्ध हो गया। आज यहाँ पर प्रतिदिन हजारों भक्तजन हनुमानजी के दर्शन के लिए आते हैं। रामनवमी और हनुमान जयंति पर तो यहाँ लोगों का यहाँ पर ताँता लगता है। इस दिन यहाँ पर एक विशाल भंडारा आयोजित होता है। 

भक्तजनों को मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते ही नंदी महाराज और एक बड़ी शिवलिंग के दर्शन होते हैं जिन्हें कमलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। मंदिर के अंदर बने झरोखे से भक्तजन नीचे लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन करते हैं। लेटे हुए बालाजी हनुमान के पास उनकी रक्षा करते हुए बंदरों और सप्तऋषि की छोटी-छोटी मूर्तियाँ भी विराजमान है। मंदिर में हनुमानजी की एक छोटी-सी मूर्ति भी है, जो मंदिर की स्थापना के समय से विद्यमान है। 

मंदिर की दीवारों पर कई देवी-देवताओं के चित्रों को किसी मंजे हुए चित्रकार ने जीवंत रूप दिया है। जिसमें गुरु सर्वेश्वरदासजी महाराज का भी एक चित्र है। मंदिर के भीतर राम और कृ‍ष्ण का छोटा-सा मंदिर है।

इस मंदिर के नाम पर एक ट्रस्ट का निर्माण भी किया गया है जो गौसेवा, अन्नसेवा और गरीब विद्यार्थियों को निशुल्क रहने की सुविधा भी प्रदान करता है। कहते हैं कि यहाँ पर कभी भी दान माँगा नहीं जाता बल्कि स्वयं दाता दान देने के लिए आगे आते हैं। मान्यता है कि यहाँ पर आने वाले प्रत्येक भक्त की माँग को बड़े बालाजी पूरी करते हैं। 

कैसे पहुँचे : गुजरात के राजकोट रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन से ऑटो या फिर बस के द्वारा यहाँ पहुँचा जा सकता है।
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