सभी क्षत्रिय परीवार के सदस्यो को सादर प्रणाम!मानव सभ्यता की सभी पिढीयोँ पर अगर गौर किया जाए तो ईस धरा के रक्षणार्थ महान क्षत्रियोँ कौमोँ का योगदान अविस्मर्णीय एवं गर्वित करने वाला ही रहा है|रामायण,महाभारत जैसे महाकाव्य भी ईन्ही क्षत्रिय कौमो पर रचे गये है|
वर्तमान की दो पिढीयाँ अगर छोड दि जाये तो ईन क्षत्रिय कौमो का ईतिहास एवं ईनकी राज्यव्यवस्था अत्यंत सुशील एवं सुसंस्कृत रही है|खासकर राजपूत एक ऐसी कौम जो संसार की सबसे शक्तीशाली कौम कही जाती है,उसका योगदान अनमोल है|सदा से ही यह कौम त्यागी,दानी व बलिदानी रही है|ईस वजह से यह कौम बहुत ही भोली है|ईस कौम के भोलेपन का फायदा आज दिल्ली के तख्त पर बैठा निजाम उठा रहा है|राजनेताओ द्वारा ईस कौम को हमेशा से ही क्षती पहुँचाने के प्रयास किये गये है|किँतु सबसे बलाढ्य कौम कहलवाने का माद्दा रखने वाली यह कौम अपने आप को निँद्रा मे रखे हुए है|दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाली कौमो मे यह कौम पाँचवे क्रमांक पर है|फिर भी ईस कौम का अस्तित्व आज किसी भी क्षेत्र मे देखने को बहुत ही कम मिल रहा है|
ईसका एक मात्र कारण है की यह कौम अपने कर्तव्यो से विमुढ होती जा रही है|आज का एक शेरदिल युवा(राजपूत) फाल्तुगिरी मे ज्यादा व्यस्त हो चुका है|कभी दारु की बोतल लेकर फोटोँ खिँचवाने मे तो कभी तलवारे,साँफा पहनकर जिप्सी अथवा घोडे पर बैठकर फोटो खिँचवाने मे ईन्हे बहुत मजा एवं महान होने की झुठी अनुभूती होती है|कभी कोई किसी लडकी को छेडता हुआ मिल जाता है तो कोई चोरी जैसी हरकते|ऐसे कई कारण उदाहरण है जिन्हे पेशकर मै टीका का पात्र नही बनना चाहता|ईन सभी समस्याओ की जड खुद के घर से ही शुरु होती है|जिन वीर क्षत्रियोँ के वंशज कहलाने मे हमे गर्व होता है वह गर्व पुर्खो का नाम खराब करे ऐसी हरकते करते वक्त कहा जाता है?उस गर्व की हमे अनुभूती तो होती किँतु उन पथप्रदर्शो पर चलना कठीन लगता है|आखिर क्यो?कई महारथी ऐसे मिलते है जिन्हे अपने गौरवशाली ईतिहास के बारे मे तक कुछ पता नही होता|ईसमे उन युवाओँ का कोई दोश नही है,दोश है सिर्फ उनके परीजनोँ का,जिन्होने उनपर संस्कार न डाले या फिल आधुनिकी करण के चलते अपने बच्चोँ को समय न दे पाने के कारण उन
फेसबूक एवं अन्य सोशीअल मिडीयाँ से जुडने के बाद यह अनुभूती हुई की यहा युवा वर्ग लक्षणिय कार्य कर रहा है किँतु वह सिर्फ काल्पनिक जगत तक ही सीमीत रह गया है|रोजमर्रा यही शुरु रहता है किँतु विचारोँ का आदान प्रदान कर मंथन होता है|मंथन करना,चिँतन करना ठिक है किँतु उसका कोई निष्कर्श न निकलना वक्त की बरबादी है|अगर हमे कुछ करना है तो सबसे पहले हमे अपने जीवन को बदलना पडेगा,दुसरोँ पर अपने विचारोँ को थोपना बंद करना पडेगा|शास्त्रसिद्द बातोँ का अवलंबन करना होगा|आज समाज की स्थिती दयनीय है ईसका एक मात्र कारण एकता का न होना है|आज हमे राजपूत,राजपूताना के बारे मे बहुत कुछ पढने को मिलता है|उस पर हम गर्व कर डिँगे हाँकते रहते है|कबतक ईतिहास पर गर्व करोगे?ईतिहास प्रेरणा लेने तक ठीक होता है|हमारा ईतिहास हमारे महान पुर्खो की काबीलियत एवं उनके कर्मो का नतीजा है,हमारा नही| इन सभी सामाजिक समस्याओ का निराकरण करणे के बाद हम पर एक और कर्तव्य का भार है जो राष्ट्र के प्रति सेवा क है|
युवा किसी भी देश क़ी सब्से बडी ताकद और पूंजी होते है|और ऐसे मे युव वर्ग उन क्शत्रिय वीरो का वंशज हो तो आकश खिंच लेने कि तक ताकद रख्त है|मेरे युवा मित्रो आज कई देशो मे लोक्तन्त्र के लिये क्रांती हो रहि है|भारत दुनिया का सब्से बडा लोकतंत्र है कींतु शासनकर्ताओ ने इसे अलग दिशा देकर इस्की दशा खराब की है|आज हम युवाओ का यह कर्तव्य है की हम उसे दशा को सुधारने क प्रयास करे|आज युग गणतंत्र का है,जोश के साथ होश होना भी जरुरी है|अब इस कौम क अस्तित्व तभी टीकेगा जब निजाम बदलेगा और निजाम बदल्ने के लिये युवाओ को आगे आना हि होगा|तभी जाकर भारत विश्व के चर्मोत्कर्श पर विराजमान होगा|
:-कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया
ईसका एक मात्र कारण है की यह कौम अपने कर्तव्यो से विमुढ होती जा रही है|आज का एक शेरदिल युवा(राजपूत) फाल्तुगिरी मे ज्यादा व्यस्त हो चुका है|कभी दारु की बोतल लेकर फोटोँ खिँचवाने मे तो कभी तलवारे,साँफा पहनकर जिप्सी अथवा घोडे पर बैठकर फोटो खिँचवाने मे ईन्हे बहुत मजा एवं महान होने की झुठी अनुभूती होती है|कभी कोई किसी लडकी को छेडता हुआ मिल जाता है तो कोई चोरी जैसी हरकते|ऐसे कई कारण उदाहरण है जिन्हे पेशकर मै टीका का पात्र नही बनना चाहता|ईन सभी समस्याओ की जड खुद के घर से ही शुरु होती है|जिन वीर क्षत्रियोँ के वंशज कहलाने मे हमे गर्व होता है वह गर्व पुर्खो का नाम खराब करे ऐसी हरकते करते वक्त कहा जाता है?उस गर्व की हमे अनुभूती तो होती किँतु उन पथप्रदर्शो पर चलना कठीन लगता है|आखिर क्यो?कई महारथी ऐसे मिलते है जिन्हे अपने गौरवशाली ईतिहास के बारे मे तक कुछ पता नही होता|ईसमे उन युवाओँ का कोई दोश नही है,दोश है सिर्फ उनके परीजनोँ का,जिन्होने उनपर संस्कार न डाले या फिल आधुनिकी करण के चलते अपने बच्चोँ को समय न दे पाने के कारण उन
फेसबूक एवं अन्य सोशीअल मिडीयाँ से जुडने के बाद यह अनुभूती हुई की यहा युवा वर्ग लक्षणिय कार्य कर रहा है किँतु वह सिर्फ काल्पनिक जगत तक ही सीमीत रह गया है|रोजमर्रा यही शुरु रहता है किँतु विचारोँ का आदान प्रदान कर मंथन होता है|मंथन करना,चिँतन करना ठिक है किँतु उसका कोई निष्कर्श न निकलना वक्त की बरबादी है|अगर हमे कुछ करना है तो सबसे पहले हमे अपने जीवन को बदलना पडेगा,दुसरोँ पर अपने विचारोँ को थोपना बंद करना पडेगा|शास्त्रसिद्द बातोँ का अवलंबन करना होगा|आज समाज की स्थिती दयनीय है ईसका एक मात्र कारण एकता का न होना है|आज हमे राजपूत,राजपूताना के बारे मे बहुत कुछ पढने को मिलता है|उस पर हम गर्व कर डिँगे हाँकते रहते है|कबतक ईतिहास पर गर्व करोगे?ईतिहास प्रेरणा लेने तक ठीक होता है|हमारा ईतिहास हमारे महान पुर्खो की काबीलियत एवं उनके कर्मो का नतीजा है,हमारा नही| इन सभी सामाजिक समस्याओ का निराकरण करणे के बाद हम पर एक और कर्तव्य का भार है जो राष्ट्र के प्रति सेवा क है|
युवा किसी भी देश क़ी सब्से बडी ताकद और पूंजी होते है|और ऐसे मे युव वर्ग उन क्शत्रिय वीरो का वंशज हो तो आकश खिंच लेने कि तक ताकद रख्त है|मेरे युवा मित्रो आज कई देशो मे लोक्तन्त्र के लिये क्रांती हो रहि है|भारत दुनिया का सब्से बडा लोकतंत्र है कींतु शासनकर्ताओ ने इसे अलग दिशा देकर इस्की दशा खराब की है|आज हम युवाओ का यह कर्तव्य है की हम उसे दशा को सुधारने क प्रयास करे|आज युग गणतंत्र का है,जोश के साथ होश होना भी जरुरी है|अब इस कौम क अस्तित्व तभी टीकेगा जब निजाम बदलेगा और निजाम बदल्ने के लिये युवाओ को आगे आना हि होगा|तभी जाकर भारत विश्व के चर्मोत्कर्श पर विराजमान होगा|
:-कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया
Hats off 2 u .It feels so gud that somewone working on rajpoot unity.And place facebook comment option
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