युवाओ की खत्म होती जिग्यासा-राष्ट्र की प्रगती मे बाधा

युवाओ की खत्म होती जिग्यासा-राष्ट्र की प्रगती मे बाधा
(लेखन-कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया)



भारत एक ऐसा राष्ट्र जिस पर जितने भी सम्राट हुए वे सारे युवा ही थे!उन्होने जितनी भी सिद्धियाँ प्राप्त की है वे सारी या तो अपनी किशोरावस्था या फिर अपने युवा जीवन मे ही हासिल की है!युवा किसी भी राष्ट्र की सबसे बडी ताकत और पुंजी होते है!ये किसी भी राष्ट्र के निर्धारण करता होते है!जिस राष्ट्र का युवा निठल्ला बैठा हो,उस राष्ट्र की अधोगती निश्चित होती है!ऐसी ही कुछ स्थिती आज हमारे भारत की है!ईस देश के युवाओँ के लिए सबसे बडा अभ्यास स्त्रोत ईस देश का गौरवशाली ईतिहास है!लेकीन आज ईतिहास का अध्ययन कर उससे प्रेरणा लेने के बजाए,आज का युवा उसपर मात्र सिर्फ डिँगे हाँकना जानता है!जिन वीर क्षत्रियोँ के वंशज हम है ईसका हमे अगर अभिमान है तो वो अभिमान कुकर्म एवं देश को लज्जाने वाले कृत्य करते वक्त कहा जाता है?

                                              हे मेरे युवा मित्रो,आज ईस राष्ट्र की जो दयनीय हालत है,ईसका जिम्मेदार आज के राजनेता एवं उनके नुमाईँदे है,जो ईस देश का शोषण कर रहे है!आज माँ भारती की जो हालत है उसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ दिल्ली के तख्त पर बैठा निजाम है! लेकीन उतनी ही जिम्मेदार आज की युवा पिढी है जिनके लिए आज राष्ट्र,देश,धर्म,संस्कृती कोई मायने नही रखती!
फिल्मी भांडो और क्रिकेटरोँ को अपना आदर्श मानने वाले आज के युवाओँ मे कैसे राष्ट्रभक्ती की भावना होगी?आज ईन्ही क्रिकेटरोँ और फिल्मी भांडो की वजह से देश निरंतर अपमानित हो रहा है!मानो के ऐसा प्रतित हो रहा है कि बहुत जल्द भारत नामक देश ही नही रहेगा!अगर किसी देश को मिटाना हो तो उस देश की संस्कृती को मिटा दौ यही संकल्पना लेकर इस देश के द्रोही आज इस राष्ट्र को मिटाने का षडयंत्र रच रही है जिसका काफी अच्छा प्रभाव भी पड चुका है!

                                         कभी अभिव्यक्ती के नाम पर तिरंगे को अपने जिस्म पर लपेटे दारु के नशे मे घुमकर तो कभी क्रिकेट के नाम पर अय्याशी परोसी जा रही है!ईन सभी कृत्योँ की वजह से आज की युवा पिढी पथभ्रष्ट और संस्कार विहीन हो रही है!
एक वक्त था जब फिल्मे बहुत ही साधारण एवं सादगीपुर्ण हुआ करती थी!लेकीन आज फिल्म लगी है यह सुनते ही मन मे हजारोँ प्रश्न उठने लगते है!कोई फिल्म जल्द रिलीज नही की जाती जो राष्ट्रियता का भाव,देशभक्ती दर्शाती हो!ईन्ही फिल्मो,फिल्मी भांडो (कलाकारो),क्रिकेटरोँ की वजह से देश की गरीमा भंग हो रही है और ईसका सबसे ज्यादा प्रभाव युवा पिढी पर हो रहा है!
ईसी के साथ साथ युवा वर्ग की राष्ट्र के प्रती जिग्यासा खत्म होती जा रही है,जिसका नुकसान आनेवाली भावी पिढियो को भुगतना पडेगा!आज हम चाहते तो है की बोस,सुरया सेन,कल्पना दत्ता,भगत,राजगुरु,सुखदेव,बिस्मिल,आजाद,सावरकर,टिलक,पांडे,शिवा,प्रताप,पृथ्वी जन्म ले पर अपने घर मे नही!ऐसा क्योँ?

भारत मे फिर भगवा ध्वज फिर भगवा ध्वज लेहराएगा
भारत की यह पुण्यभूमी फिर रामराज्य बन जाएगा ॥धृ॥
कौन बनेगा अर्जुन योद्धा कौन कृष्ण बन जाएगा
कौन भारत की डुबती नय्या आकर पार लगाएगा
धीर धरो ए हिन्दू वीरो वह दिन फिर भी आएगा
जब भारत का बच्चा बच्चामातृभक्त बन जाएगा ॥१॥
कौन वीर शिवाजी बनकर यवनोंके सिर फोडेगा
कौन वीर अभिमन्यू बनकर चक्रव्यूह को तोडेगा
मत घबराओ हिन्दु वीरो वह दिन फिर बन आएगा
जब भारत का बच्चा बच्चादेशभक्त बन जायेगा ॥२॥
चल चल करती गंगा-यमुना कहो क्या गुण ये लाती है
अपनी कलकल की वाणी से क्या संदेश सुनाती है
धीर धरो ये हिन्दू वीरोवह दिन फिर भी आएगा
जब भारत का बच्चा बच्चारामभक्त बन जायेगा ॥३॥

                                             अगर ईस देश का कोई उद्धार कर सकता है,तो वे सिर्फ युवा ही है!आज इस देश को नये पृथ्वी,प्रताप,आझाद,भगत,बिस्मिल की जरुरत है!आशा है की वे ईसी युवाओ के काफिले से निकलेँगे और इस राष्ट्र कौ पुन: चर्मोत्कर्ष पर स्थापीत करेँगे!

जय हिँद!
राष्ट्रहित सदा सर्वोपरी!
-कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया...
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