'कोकरोच और कव्वा' बनाम 'हिन्दू और मुस्लिम'


एक कीट होता है कोकरोच, इनकी ख़ास आदत होती है... जब भी कोई साथी कोकरोच ऊपर चढ़ता है...टांग पकड़ कर खींच लेते हैं... एक कोकरोच मरेगा तो दूसरा देखने भी नही आएगा... संगठन नाम की कोई चीज नही होती...
एक पक्षी होता है कव्वा... शक्ल व वाणी का कर्कश, चालाक और ख़ास बात ये कि एक कव्वे की मौत पर अठारह कोस के कव्वे इकट्ठे होकर कांव-कांव मचाते हैं और अपने संगठन की मिसाल बनाते हैं...

भारत में कोकरोच हैं हिन्दू... रोज मरते हैं... जुल्म सहते हैं.. अन्याय झेलते हैं मगर संगठित नही होते...
उदारता की आड़ में नपुंसकता छुपाते हैं, कटते हैं, मरते हैं मगर उफ़ तक नही करते...
जनसंख्या है सौ करोड़, मगर कर्म हैं विलुप्त प्रजाति जैसे...

जबकि कव्वे हैं मुसलमान- कट्टर, कर्कश और कठोर... संगठन इस तरह का कि स्वीडन में मुहम्मद का कार्टून बनता है और दंगे होते हैं दिल्ली में...
जनसंख्या है बीस करोड़, मगर कर्म हैं तालीबानी...

समझने की बात ये हैं कि कव्वा हमेशा कोकरोच को खाता है... पिछली एक सहस्त्राब्दी से तो यही हो रहा है...
जयचंद के वंशज हैं वो लोग जो 'अमन की आशा' की आशा में भेड़ की खाल में सियारों को और घर में बैठे तालिबानी पैरोकारों को शह देते हैं...
मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए देश में साम्प्रदायिक दंगों की स्थिति बनाते हैं...

जो हाल दिल्ली के सुभाष पार्क का हुआ है- मुल्लों का अतिक्रमण व एक और बाबरी मस्जिद की धमकी...
गैर जमानती वारंट के बाद भी देशद्रोही बुखारी का बाल बांका ना होना...
जबकि हिन्दू संतों पर अत्याचार... बाबा रामदेव पर हमला... आचार्य बालकृष्ण की गिरफ्तारी...
ये सब कांग्रेस की मुल्ला तुष्टिकरण नीति का परिणाम है...

निष्कर्ष रूप में यही कहूँगा, इन सबके लिए उत्तरदायी कारण सिर्फ एक है-- असंगठित, छिन्न-भिन्न हिन्दू...

समस्त हिन्दुओं...
इसके लिए तुम स्वयं जिम्मेदार हो... तुम्हारे अन्दर का पुरुषार्थ खत्म हो चुका है..
और स्वार्थ जाग गया है.. तुम्हे देश और सनातन हिन्दू धर्म से कोई लेना देना नही.??
तुम सर पर रूमाल बांधकर मुल्लों की लाशों पर सर पटकते ही मर जाओगे...
तुम्हारी पिछली पीढ़ियों ने 'शर्म निरपेक्षता' को सींचा है.??
और वो अब बबूल बनकर तुम्हारी औलादों को चुभ रही है और चुभती ही रहेगी..
अगर 'नपुंसक चुप्पियों' से उठकर संगठित नहीं हुए तो..??
'कायर अहिंसक मनोवृति और झूठी शर्म निरपेक्षता' से निकलकर संगठित नहीं हुए तो..??
आने वाली पीढ़ी को क्या जवाब दोगे..???
अपनी 'मृत आत्मा' के किसी कोने में 'नकली धर्म-निरपेक्षता' की नींद में सोये हुए 'छोटे से जमीर के टुकड़े' से अवश्य पूछना.??


 






 






 
Share on Google Plus

About Unknown

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments :

Post a Comment

कृपया कॉमेंट करें