श्री राजपूत युवा परिषद के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ :-
श्री राजपूत युवा परिषद का विधिवत गठन वर्ष 21 जनवरी 1996 को हुआ था । इससे पहले लगभग 6-7 महीनों तक जयपुर के विभिन्न महाविधालयो में महावीर सिंह जी रुंवा द्वारा राजपूत युवाओं की लगातार मीटिंग्स ली जाती रही थी । तत्पश्चात 21 जनवरी 1996 को चुनाव अधिकारी श्रद्धेय देवी सिंह जी महार के सानिद्धय में चुनाव हुए व राजस्थान के पहले राजपूत युवकों के संघठन ने साकार रूप लिया ।
श्री राजपूत युवा परिषद के संस्थापक सदस्य :-
१- महावीर सिंह रूंवा (संस्थापक)
२:- सुरेश सिंह सारोठिया
३:- मूल सिंह त्रिलोकपुरा
४- अजय सिंह नाथावत, नांगल भरडा५:- उमराव सिंह कीनिया ।
श्री राजपूत युवा परिषद के अब तक के अध्यक्ष व उनका कार्यकाल :-
१- महावीर सिंह रूंवा, 1996-97
२- हनुमान सिंह गोगावत 1997-1998
३:- विरेन्द्र सिंह आसलसर 1998-1999
४- श्याम सिंह बरडादास
1999
५- नरेन्द्र सिंह महरोली 1999- 2004
६- श्याम प्रताप सिंह रूंवा 2004-2006
( 2006-2014 के समय परिषद की कोई गतिविधि नहीं रही)
७- उम्मेद सिंह करीरी वर्तमान अध्यक्ष 2014 से लगातार
इसी के साथ ही श्री राजपूत युवा परिषद के हम युवकों ने महान क्रांतिकारी राव गोपाल सिंह खरवा के निम्बार्क मन्दिर मे रखे हथियारो को वहाँ के पुजारियों द्वारा चुपचाप बेच देने की जानकारी मिलने पर पहला आंदोलन किया व तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व भैंरों सिंह जी शेखावत ने परिषद के पदाधिकारियों को बुला कर बात की व जाँच करवा कर बाद मे सभी हथियार बरामद करवाये गये।
शिवानी तेजाब काण्ड मे राजपूत युवा परिषद की भूमिका:-
शिवानी जाडेजा तेज़ाब कांड में श्री राजपूत युवा परिषद द्वारा सबसे अग्रणी भूमिका निभाते हुए लगातार धरना व प्रदर्शन किये गये, पोलोविक्ट्री चोराहा व गोवरमेंट चौराहे जाम किये गये । विश्वविद्यालय बंद कराया गया । हज़ारों की तादाद में जुलूस निकाल कर सेकिट्रेट पर धरना दिया गया । यह आंदोलन लगातार कई दिन तक चला । बाद मे राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व भैंरों सिंह जी ने सीआईडी से प्रकरण की जाँच के आदेश दिये व शिवानी का सरकारी खर्चे पर विदेश मे ईलाज कराया । यह परिषद का लगातार दूसरा सफल आंदोलन रहा । जिसकी विभिन्न लोगों ने भूरि भूरि प्रसंसा की थी।
किसी समाचार पत्र में ऐसी हेडिंग हर किसी को नहीं मिल सकती । " शाबास राजपूत युवा परिषद शिवानी कांड में सराहनीय भूमिका"
श्री राजपूत युवा परिषद का विधिवत गठन वर्ष 21 जनवरी 1996 को हुआ था । इससे पहले लगभग 6-7 महीनों तक जयपुर के विभिन्न महाविधालयो में महावीर सिंह जी रुंवा द्वारा राजपूत युवाओं की लगातार मीटिंग्स ली जाती रही थी । तत्पश्चात 21 जनवरी 1996 को चुनाव अधिकारी श्रद्धेय देवी सिंह जी महार के सानिद्धय में चुनाव हुए व राजस्थान के पहले राजपूत युवकों के संघठन ने साकार रूप लिया ।
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श्री राजपूत युवा परिषद के प्रथम अध्यक्ष श्री महावीर सिंह जी रुंवा |
१- महावीर सिंह रूंवा (संस्थापक)
२:- सुरेश सिंह सारोठिया
३:- मूल सिंह त्रिलोकपुरा
४- अजय सिंह नाथावत, नांगल भरडा५:- उमराव सिंह कीनिया ।
श्री राजपूत युवा परिषद के अब तक के अध्यक्ष व उनका कार्यकाल :-
१- महावीर सिंह रूंवा, 1996-97
२- हनुमान सिंह गोगावत 1997-1998
३:- विरेन्द्र सिंह आसलसर 1998-1999
४- श्याम सिंह बरडादास
1999
५- नरेन्द्र सिंह महरोली 1999- 2004
६- श्याम प्रताप सिंह रूंवा 2004-2006
( 2006-2014 के समय परिषद की कोई गतिविधि नहीं रही)
७- उम्मेद सिंह करीरी वर्तमान अध्यक्ष 2014 से लगातार
इसी के साथ ही श्री राजपूत युवा परिषद के हम युवकों ने महान क्रांतिकारी राव गोपाल सिंह खरवा के निम्बार्क मन्दिर मे रखे हथियारो को वहाँ के पुजारियों द्वारा चुपचाप बेच देने की जानकारी मिलने पर पहला आंदोलन किया व तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व भैंरों सिंह जी शेखावत ने परिषद के पदाधिकारियों को बुला कर बात की व जाँच करवा कर बाद मे सभी हथियार बरामद करवाये गये।
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उस समय की अखबार की कटिग |
शिवानी जाडेजा तेज़ाब कांड में श्री राजपूत युवा परिषद द्वारा सबसे अग्रणी भूमिका निभाते हुए लगातार धरना व प्रदर्शन किये गये, पोलोविक्ट्री चोराहा व गोवरमेंट चौराहे जाम किये गये । विश्वविद्यालय बंद कराया गया । हज़ारों की तादाद में जुलूस निकाल कर सेकिट्रेट पर धरना दिया गया । यह आंदोलन लगातार कई दिन तक चला । बाद मे राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व भैंरों सिंह जी ने सीआईडी से प्रकरण की जाँच के आदेश दिये व शिवानी का सरकारी खर्चे पर विदेश मे ईलाज कराया । यह परिषद का लगातार दूसरा सफल आंदोलन रहा । जिसकी विभिन्न लोगों ने भूरि भूरि प्रसंसा की थी।
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समाचार पत्रो की हेडिंग बना श्री राजपूत युवा परिषद |
बैडिंट क्वीन फ़िल्म का ज़बर्दस्त विरोध:-
बैडिंट क्वीन फ़िल्म का ज़बर्दस्त विरोध । प्रेम प्रकाश सिनेमा का पर्दा फाड़ा । कई जगह प्रदर्शन व जाम । नरेन्द्र सिंह महरोली सहित कई लोगो के विरूद्ध मुक़द्दमे दर्ज हुए ।
समय समय पर हमारे महापुरुषों की जयंतियों का समारोह का आयोजन किया गया
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महाराणा प्रताप जयंती |
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वीर दुर्गादास जयन्ति |
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27-8-1996 को वीर दुर्गादास जयन्ति का भव्य समारोह । |
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महाराणा प्रताप जयंती |
छात्र तेज़ सिंह के बहु चर्चित हत्याकांड में अपराधियों को पकड़ाने मे सहयोग:-
19-1-1996 को पूर्व राज्य मंत्री उम्मेद सिंह जी ने श्री राजपूत युवा परिषद को एक पत्र लिख कर नागौर के छोटी खाटु मे हुए छात्र तेज़ सिंह के बहु चर्चित हत्याकांड में अपराधियों को पकड़ाने मे सहयोग चाहा । राजपूत युवा परिषद इस हत्याकांड को लेकर पहले ही जयपुर मे आंदोलनरत थी । परिषद के प्रयासों से तत्कालीन मुख्यमंत्री भैंरों सिंह जी ने विशेष जाँच दल कान सिंह जी भाटी सीआई के नेतृत्व मे गठित किया और अपराधियो को गिरफ्तार करवाया गया
सावन मास की सामुहिक गोठ का आयोजन:-
7 सितम्बर 1997 को राजपूत समाज की अब तक जयपुर में हुई सबसे बड़ी सावन मास की सामुहिक गोठ का आयोजन श्री राजपूत युवा परिषद द्वारा किया गया । जिसमें लगभग 5000 समाज बंधुओं व लगभग सभी राजपूत मंत्री व विधायकों ने हिस्सा लिया था ।
मूल ओबीसी में आरक्षण देने की माँग :-
11 अप्रेल 2004 को राजपूतों को मूल ओबीसी में आरक्षण देने की माँग को लेकर तत्कालीन अध्यक्ष श्याम प्रताप सिंह राठौड के नेत्तृव में अधिकार रैली के रूप में जयपुर के इतिहास की किसी भी वाहन रैलीयो की तुलना में सबसे विशाल वाहन रैली निकाली गई व तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निवास का सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए लाठी चार्ज के बावजूद ( स्व प्रेम बाईसा इसमें घायल हुए थे ) सीएम निवास मे जोशीले राजपूत युवकों ने प्रवेश किया । मजबूरन सीएम को परिषद के कार्यकर्काओ से मिलना पड़ा था। इस विशाल रैली को हिंदुस्तान टाइम्स ने अपने मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया था।
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अधिकार रैली |
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अधिकार रैली |
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सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया को ज्ञापन देते हुए श्याम प्रताप सिंह परिषद अध्यक्ष । |
श्री राजपूत युवा परिषद द्वारा महाराणा प्रताप की 464 वीं जयन्ति मनाई
22 मई 2004 को श्री राजपूत युवा परिषद द्वारा महाराणा प्रताप की 464 वीं जयन्ति मनाई गई, जिसमें समाज के नेता दीपेन्द्र सिंह जी शेखावत व प्रताप सिंह जी खाचरियावास पधारे । इस समारोह के पश्चात रात में हज़ारों राजपूत परिषद कार्यकर्ताओ ने राजपूतों को मूल ओबीसी मे आरक्षण देने की माँग को लेकर विशाल मशाल जुलूस निकालाँ था
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मशाल जुलूस |
साभार:- महावीर सिंह रूंवा (संस्थापक)
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