जरा संभल क्षत्रिय तू. ............।
इस सूर्य के तेज का अंस है क्षत्रिय तू
श्री राम और कृष्ण का वंश है क्षत्रिय तू
तेज तलवार की धार का पर्याय है क्षत्रिय तू
दुष्टो के लिए काल का पर्याय भी हैं क्षत्रिय तू
ऋषियों और मुनियों का भी वंशज है क्षत्रिय तू
धर्म और धैर्य में भी सबसे अग्रज है क्षत्रिय तू
शीष कट जाये फिर भी लङता है क्षत्रिय तू
भले आ जाये साक्षात काल फिर भी निर्भय हो अङता है क्षत्रिय तू
शरणागत रक्षा में तेरा कोई शानी नहीं है
ज्ञान की गंगा बहाने में भी तेरे जैसा कोई ज्ञानी नहीं है
पर भूल अपने क्षात्र धर्म को फंस गया महज कुछ अमावस्या की अंधेरी रातो में
पर याद रख सत्य के लिए लूटा दिया था राज हरिश्चंद्र ने बातों बातों में
याद कर उन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को
भागीरथ के गंगा लाने वाले उस महान काम को
अरे शिवी ने शरणागत के लिए निज मांस को काट के दे दिया था
अरे परम क्षत्रियो ने त्रिलोकी के राज को भी छंद क्षणो में दान में बांट के दे दिया था
बस याद रख उन क्षत्रियो चित संस्कारों और गौरव शाली इतिहास को
अटूट रख अपने धैर्य बल और निज आत्म विश्वास को
जब तक है सूर्य में तेज वो डूबने ना देगा अपने अंस को
जिंद है कृष्ण की गाथाएं वो पैदा होने ना देगी कंस को
अरे जब समय हो विपरीत तो धैर्य और धीरज से रहना पङता है
क्योंकि रावण को मारने के लिए राम को भी 14 वर्ष तक वन में रहना पङता है
जय क्षत्रिय । जय क्षात्र धर्म
लेखनी- हरिनारायण सिंह राठौड़
इस सूर्य के तेज का अंस है क्षत्रिय तू
श्री राम और कृष्ण का वंश है क्षत्रिय तू
तेज तलवार की धार का पर्याय है क्षत्रिय तू
दुष्टो के लिए काल का पर्याय भी हैं क्षत्रिय तू
ऋषियों और मुनियों का भी वंशज है क्षत्रिय तू
धर्म और धैर्य में भी सबसे अग्रज है क्षत्रिय तू
शीष कट जाये फिर भी लङता है क्षत्रिय तू
भले आ जाये साक्षात काल फिर भी निर्भय हो अङता है क्षत्रिय तू
शरणागत रक्षा में तेरा कोई शानी नहीं है
ज्ञान की गंगा बहाने में भी तेरे जैसा कोई ज्ञानी नहीं है
पर भूल अपने क्षात्र धर्म को फंस गया महज कुछ अमावस्या की अंधेरी रातो में
पर याद रख सत्य के लिए लूटा दिया था राज हरिश्चंद्र ने बातों बातों में
याद कर उन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को
भागीरथ के गंगा लाने वाले उस महान काम को
अरे शिवी ने शरणागत के लिए निज मांस को काट के दे दिया था
अरे परम क्षत्रियो ने त्रिलोकी के राज को भी छंद क्षणो में दान में बांट के दे दिया था
बस याद रख उन क्षत्रियो चित संस्कारों और गौरव शाली इतिहास को
अटूट रख अपने धैर्य बल और निज आत्म विश्वास को
जब तक है सूर्य में तेज वो डूबने ना देगा अपने अंस को
जिंद है कृष्ण की गाथाएं वो पैदा होने ना देगी कंस को
अरे जब समय हो विपरीत तो धैर्य और धीरज से रहना पङता है
क्योंकि रावण को मारने के लिए राम को भी 14 वर्ष तक वन में रहना पङता है
जय क्षत्रिय । जय क्षात्र धर्म
लेखनी- हरिनारायण सिंह राठौड़
🌺🌿हल्दीघाटी की व्यथा🌿🌺
ReplyDeleteहल्दीघाटी की हरियाली का ,
उस दिन क्या हाल हुआ होगा ?
जब रण बाँकुरे उन वीरों का,
रक्त समर में बहा होगा।
तलवारों ,भालों , तीरों के बीच,
रण घनघोर मचा होगा।
जब चेतक पर चढ़कर राणा ने,
दुश्मन पर वार करा होगा।।
तलवारें निकलकर म्यानों से,
दुश्मन के सीने घुसी होगी ।
कैसे इस रण मातम में ,
चेतक की टाँग कटी होगी ?
वो स्वामीभक्त था हमें गर्व हैं,
पर जब जान गई उस घोड़े की।
वो बड़ी विकट थी घड़ी धैर्य की,
तब राणा का क्या हाल हुआ होगा ?
भीषण गर्मी लू की थपेड़े,
चहुँऔर चीत्कार उठी ।
लगा मानसिहं को शायद युद्ध में,
रणचण्डी ललकार उठी।।
जब राणा का धरे मुकुट शीश पर,
झाला का कमाल हुआ होगा।
हल्दीघाटी की हरियाली का,
उस दिन क्या हाल हुआ होगा ?
वो सुर बड़ा ही सूरी था,
जिसने देश को अपना माना।
वो भामाशाह बड़ा ही दानी था,
जिसने सब कुछ भेंट चढ़ा डाला।।
मैंने तो बस पढ़ा इतिहास,
पर जब देखा हल्दीघाटी को।
आँसू निकल आए आँखों से,
जब छुई यहाँ की माटी को।।
धन्य हो गई धरा तभी से,
जिस क्षण रक्त ताल भरा होगा।
हल्दीघाटी की हरियाली का,
उस दिन क्या हाल हुआ होगा ?
है धन्य धरा ये एकलिंग की ,
गुलाबी खुश्बू बसी घाटी में।
हुई केसरिया रणभूमि ,
जब तलवार घुसी थी छाती में।।
उन गुलाबी खुश्बू सा आलम ,
उस दिन जब खूब जला होगा।
हल्दीघाटी की हरियाली का ,
उस दिन क्या हाल हुआ होगा ?
कवि:-अनमोल तिवारी "कान्हा"