पौन बीघा में 13 लाख रुपये की फसल का सच
शायद आप पढ़कर आश्चर्य करे की पौन बीघा में 13 लाख रुपये की फसल कैसे हो सकती हैं कही कोई अफीम या सोना तो नही उगाया जी नहीं कोई अफीम या सोना नहीं पौन बीघा की जमीन पर 13 लाख रुपये की बैगन की फसल की गयी अलवर जिले में स्तिथ कोठी राव नमाक स्थान पर की गयी जो की अलवर जिले से 20-25 किलोमीटर की दुरी पर है जमीन रिटायर्ड कर्नल राजेन्द्र सिंह नरुका जी की हैं उन्होंने एक बार पौन बीघा में तेरह लाख की कृषि उपज का उत्पादन लिया इतनी फसल की लागत के लिए कर्नल साहब के घर आयकर विभाग ने छापा मारा कि कर्नल ने झूठी आय दिखाई और वे " कृषि उपज पर बात करने लगे, तब उन्हें कहा कि इसके लिए किसी कृषि विशेषज्ञ को साथ लाये, वही समझ सकता है, आप नहीं"
ये कैसे हुए फसल का किस्सा लवकुश सिंह नरुका जी ने बताया की उन दिनों बैगन 1 रुपये किलो बिक रहा था लेकिन उनके जमीन में उपजे बैगन की कीमत 9 रुपये किलो थी और देहली से रोजाना सफल की गाड़िया आती थी बैगन लेने के लिए अब जानते हैं पौन बीघा में इतनी उपज कैसे हुए खेती के लिए कर्नल साहब ने अपना दिमाग लगाया और जमीन को पहले स्क्वायर फिर फ़ीट और उसके बाद इंच में बाँट दिया और बैगन के बीजो को जमीन में इधर उधर ना फेककर प्रत्येक इंच में पौधा लगाया और पोधे की जड़ो को फैलने की पर्याप्त जगह छोड़कर दूसरा पौधा लगाया इसी तरह प्रत्येक इंच में अन्य पोधे लगाये गए फसल की गिनती में प्रत्येक पोधे में निकले बैगन के फूलो की गिनती की गयी फसल की सिचाई के लिए बूँद बूँद सिचाई की प्रणाली का उपयोग किया गया दिन में 6-7 बार सिचाई की जाती थी सिचाई के लिए यह ध्यान में रखा जाता था की प्रत्येक पौधे को उसके आवशयक्ता अनुसार ही पानी दिया गया ना कम और ना ही ज्यादा और फसल को रोजाना देखा जाता था इस तरह पौन बीघा में 13 लाख रुपये की उपज की गयी सभी किसान भाई इस प्रणाली का उपयोग करके देखे शायद आपकी जमींन पर भी इसी तरह की फसल हो जाये
शायद आप पढ़कर आश्चर्य करे की पौन बीघा में 13 लाख रुपये की फसल कैसे हो सकती हैं कही कोई अफीम या सोना तो नही उगाया जी नहीं कोई अफीम या सोना नहीं पौन बीघा की जमीन पर 13 लाख रुपये की बैगन की फसल की गयी अलवर जिले में स्तिथ कोठी राव नमाक स्थान पर की गयी जो की अलवर जिले से 20-25 किलोमीटर की दुरी पर है जमीन रिटायर्ड कर्नल राजेन्द्र सिंह नरुका जी की हैं उन्होंने एक बार पौन बीघा में तेरह लाख की कृषि उपज का उत्पादन लिया इतनी फसल की लागत के लिए कर्नल साहब के घर आयकर विभाग ने छापा मारा कि कर्नल ने झूठी आय दिखाई और वे " कृषि उपज पर बात करने लगे, तब उन्हें कहा कि इसके लिए किसी कृषि विशेषज्ञ को साथ लाये, वही समझ सकता है, आप नहीं"
ये कैसे हुए फसल का किस्सा लवकुश सिंह नरुका जी ने बताया की उन दिनों बैगन 1 रुपये किलो बिक रहा था लेकिन उनके जमीन में उपजे बैगन की कीमत 9 रुपये किलो थी और देहली से रोजाना सफल की गाड़िया आती थी बैगन लेने के लिए अब जानते हैं पौन बीघा में इतनी उपज कैसे हुए खेती के लिए कर्नल साहब ने अपना दिमाग लगाया और जमीन को पहले स्क्वायर फिर फ़ीट और उसके बाद इंच में बाँट दिया और बैगन के बीजो को जमीन में इधर उधर ना फेककर प्रत्येक इंच में पौधा लगाया और पोधे की जड़ो को फैलने की पर्याप्त जगह छोड़कर दूसरा पौधा लगाया इसी तरह प्रत्येक इंच में अन्य पोधे लगाये गए फसल की गिनती में प्रत्येक पोधे में निकले बैगन के फूलो की गिनती की गयी फसल की सिचाई के लिए बूँद बूँद सिचाई की प्रणाली का उपयोग किया गया दिन में 6-7 बार सिचाई की जाती थी सिचाई के लिए यह ध्यान में रखा जाता था की प्रत्येक पौधे को उसके आवशयक्ता अनुसार ही पानी दिया गया ना कम और ना ही ज्यादा और फसल को रोजाना देखा जाता था इस तरह पौन बीघा में 13 लाख रुपये की उपज की गयी सभी किसान भाई इस प्रणाली का उपयोग करके देखे शायद आपकी जमींन पर भी इसी तरह की फसल हो जाये
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