आगे-आगे बढना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो!

जीवन मे कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो,
आगे-आगे बढना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो!
जीवन मे—

चलने वाला मन्जिल पाता, बैठा पीछे रहता है,
ठहरा पानी सडने लगता, बहता निर्मल होता है,
पांव मिले चलने की खातिर,
पांव पसारे मत बैठो!
जीवन मे—

तेज दौडने वाला खरहा, दो पल चल कर हार गया,
धीरे-धीरे चल कर कछुआ, देखो बाजी मार गया,
चलो कदम से कदम मिला कर,
दूर किनारे मत बैठो!
जीवन मे—

धरती चलती, तारे चलते, चांद रात भर चलता है,
किरणो‍ का उपहार बांटने, सूरज रोज निकलता है,
हवा चले तो खुशबू बिखरे,
तुम भी प्यारे मत बैठो!
जीवन मे—

उम्मेद  सिंह शेखावत करीरी
Share on Google Plus

About Unknown

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments :

Post a Comment

कृपया कॉमेंट करें